बिल्डर्स को 6.7 करोड़ ‘लाभ’ ग्राहकों तक पहुंचाने के आदेश

नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (NAA) ने दो बिल्डरों को गुड़गांव स्थित प्रोजेक्ट्स में करीब 6.7....


नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (NAA) ने दो बिल्डरों को गुड़गांव स्थित प्रोजेक्ट्स में करीब 6.7 करोड़ रुपये के जीएसटी इनपुट क्रेडिट का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने का दोषी माना है और कीमत घटाकर लाभ की रकम ग्राहकों को लौटाने का आदेश दिया है। अथॉरिटी ने बिल्डर्स की ओर से प्री-जीएसटी रिजीम में क्रेडिट नहीं मिलने और अफोर्डेबल स्कीमों से जुड़ी रियायतों की दलीलों को अलग रखते हुए जीएसटी लागू होने के बाद से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ लिए गए अतिरिक्त लाभ को ग्राहकों को देने को कहा है।


गुड़गांव की एस्टरइन्फ्रा होम प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ उसके 13 बायर्स ने पहले हरियाणा एंटी-प्रॉफिटियरिंग स्क्रीनिंग कमेटी में शिकायत की थी। कमेटी ने इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा था, जिसने डायरेक्टर जनरल, एंटी प्रॉफिटियरिंग (DGAP) को फॉरवर्ड किया था। डीजीएपी की जांच के दौरान बिल्डर ने माना कि प्रोजेक्ट वैट रिजीम में शुरू किया गया था और उसने मैटीरियल की खरीद पर क्रेडिट तो हासिल किया था, लेकिन अफोर्डेबल हाउसिंग का निर्माण सर्विस टैक्स से मुक्त होने के चलते उसने ग्राहकों से कोई सर्विस टैक्स चार्ज नहीं किया था और न ही उसे CENVAT क्रेडिट मिला था। बिल्डर ने यह दलील भी दी कि जीएसटी से पहले सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी तो लागत में शामिल थी, लेकिन इसका क्रेडिट उपलब्ध नहीं था। इसके लिए प्रोजेक्ट की काफी यूनिटें अनसोल्ड भी रह गईं। डीजीएपी ने अपनी जांच में पाया कि प्री-जीएसटी रिजीम में बिल्डर का कुल क्रेडिट टर्नओवर का 0.49% ही बनता था, जबकि जीएसटी लागू होने के बाद एक साल के भीतर ही उसने 7.73% आईटीसी हासिल किया है। इस तरह उसने कम से कम 7.24% अतिरिक्त क्रेडिट का लाभ कमाया है, जो करीब 5.30 करोड़ रुपये बनता है।


अथॉरिटी ने डीजीएटी की जांच के आधार पर फैसला दिया है कि बिल्डर ने सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 171(1) सहित कई प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उसने बिल्डर पर संबंधित धाराओं में जुर्माना लगाने के साथ ही रकम ग्राहकों तक पहुंचाने को कहा।


एक अन्य मामले में अथॉरिटी ने सिग्नेचर ग्लोबल को गुड़गांव स्थित सायोनारा प्रोजेक्ट में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने का आदेश दिया है। इस मामले में डीजीएपी ने अपनी जांच में करीब 1.4 करोड़ की प्रॉफिटियरिंग पाई थी। बिल्डर ने प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्राप्त रियायतों और प्री-जीएसटी रिजीम में कई मदों में क्रेडिट नहीं मिलने का हवाला दिया। साथ ही कहा कि प्रोजेक्ट का निर्माण सब-कॉन्ट्रैक्टर्स कर रहे थे, जिन्होंने स्टील, सीमेंट जैसे कुछ बड़े सामान छोड़ सभी इनपुट खर्च उठाए हैं। हालांकि, अथॉरिटी ने सभी देनदारियों और क्रेडिट के आकलन के बाद 1.4 करोड़ की प्रॉफिटियरिंग को सही माना।